मैं ख़ुद से निकलकर बहा हूं
तभी रहा हूं
तुम जब पंख लगा रही होती हो
अपने कंधों पर
तो मेरा मन होता है कि धीमे से
उनमें यूं फिराऊं उंगलियां
जैसे देवदूत तुम्हारे बालों में फिराते रहे इतने साल
और तुमने सारी कायनात के गिरने को संभाला
जैसे पेड़ की याद में फल हैं
लेकिन फलों को देना नहीं है,
जैसे नदी को याद है पानी बस
पर ये नहीं कि उसके बच्चे हैं हम,
तुम्हें याद नहीं
आवारा रातों के अंगूठे,
पीले फूल, चौराहे पर खरीदी पेंसिलें,
अगरबत्तियां,
एक बैग कभी तुम्हारे कंधे, कभी मेरे,
एक बैग कभी तुम्हारे कंधे, कभी मेरे,
नींबू पानी दो बोतल या एक बड़ी चाय बार-बार,
एक मोटरसाइकिल जो जैसे झील पर नाव है चाँदनी रात में,
जिसके होने से करार आता है,
आधी रात अमलतास के पत्तों का गिरना
बराबर-बराबर हमारे सरों पर,
बरसात की बूंदें गिनना एक से हज़ार,
चावल डालना कबूतरों को, कि वे पूर्वज हैं हमारे
हम जब भटके नहीं थे तो वैसे थे
तुम्हें याद क्या
एक दाल थी आटे जैसी
जब तुमने मुझे रोटियां बेलना सिखाया था,
यह भी कि चाँद ना हो तो
हवाई-जहाज भी साथ-साथ देखे जा सकते हैं
तुम्हें याद क्या ये यक़ीन
कि तुम कुछ भी सिखा सकती हो मुझे
अगर मैं कुत्ता हूं, तो ईश्वर होना,
अगर मनुष्य हूं मैं, तो और मनुष्य होना
सिर्फ़ तुम्हें ही है हुनर
कि तुम नदी का हाथ पकड़कर चल सकती हो
तुम पानी को उसके नाम से नहीं,
प्रेम से जानती हो, जो वह कर सकता है
यह भी कितना सुख कि और कोई काम नहीं मेरे पास
और इससे ज़्यादा की चाह करना कुफ़्र होगा जैसे
कि बस पास बैठे रहकर तुम्हें देख सकूं, जब तुम
सर्दियों से मिलो
जैसे प्रेमी मिलते हैं बाढ़ के बाद
और तुम यक़ीन कर सको
कि बर्फ़ तुम्हें गलाएगी नहीं मेरी जान, चाहे कितने
भी बरस बीतें
कोई धूप ऐसी नहीं विषुवत रेखा पर,
जो तुम्हारे मन से ज़्यादा चमक सकती हो
तुम हाथ खोलती हो तो धरती काँपती है,
तुम अकेली उसे फिर फिर रच सकती हो
यह एक होर्डिंग लगा है बाहर
जिसे कुछ कव्वे मिलकर तोड़ना चाह रहे हैं,
मैं बस उनकी मदद कर रहा हूं।
घाव आत्मा के तिल हैं,
उन्हें चूमने से सुकून बरपेगा।
रात थी कल रात तो दिन भी आएगा,
यह नई बात कह रहा हूं पर नई लगती नहीं कहने के बाद।
मैं तुम्हारे लिए सर्दियां ढूंढ़ने गया हूं ढेर सारी
पर यहीं हूं तुम्हारे सिरहाने तुम्हें सोते हुए देखता हुआ,
तुम मुस्कुराती हो तो बहने लगता है सारा काँच।
रोशनी सारी, तुमसे आती है
रोशनी सारी, तुम तक लाता हूं,
और एक यह फूल, जिसकी ख़ुशबू हम दोनों के अलावा किसी को नहीं मालूम,
जिसका नाम नहीं रखा गया अभी।
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