ये आख़िरी दस नोट हैं
कितने दिन लगते हैं एक इंसान को कुत्ता बनने में?
मेरा एक पैर हवा में है
मुझे लेटने दो
यहाँ किसी को काटा नहीं जा सकता, लिखा है
अगर तुम्हारी और मेरी मोहब्बत के गानों की
कोई सीडी होती
तो उसमें हम लता मंगेशकर से कहते कि बाहर जाकर बैठे
कुर्सी के पाए कैसे टूटते जाते हैं
शीशा मुझसे गिरा ग़लती से
मैं बुहारता गया हूं इधर से, ज़मीन पर
बैठो
जिसकी आवाज़ मीठी है
उसने मेरे हिस्से का गुड़ चुराया है कभी
या उसके पिता ने,
और उन्हें याद नहीं कुछ भी
मैं डिक्शनरी से लड़ता रहा
फिर बाहर अमिताभ बच्चन से
मुझे तरस आता है उन पर
जबकि मुझे उनके पैर धोने चाहिए
ताकि मेरे कपड़े ना फाड़े जाएं बीच सड़क पर
आग में ही अनाज होता है
आख़िरी महीने की तनख़्वाह हर बार छूटी
सच को छूने के लिए मैंने अपना गाँव छोड़ा था
क्या तुम भी अब चटाई को वैसे देखते हो
जैसे मैं देखता हूं?
मुझे कभी उस ओर जाना चाहिए
जहाँ मैंने पेड़ होने का अभ्यास किया था महीनों
तुम्हारी पीठ पर क्या है, दिखाना
आप क्या कहना चाहेंगे? (Click here if you are not on Facebook)
जो दिल में आए, कहें।
Post a Comment