आप सीधे मुझपे चढ़के आए
पहले आज़ादी आई
फिर आए दौड़ते हुए फ़ौजी
उनकी याददाश्त को आपने उनके मैट्रिक के सर्टिफिकेट के साथ
स्टैपल करके रखा था अपनी दराज़ में
वे मुझे ऐसे पहचानते थे
जैसे एक अँधेरा पहचानता है दूसरे अँधेरे को
वे चिल्लाए किसी गैर सी भाषा में
और जहाँ दिल हो सकता था मेरा
वहाँ उनके जूते थे
वे नाराज़ थे हर चीज से
और हममें से जो मरे, वे भी उन्हें ख़ुश नहीं कर सके
उनका कुछ खो गया था
जिसे वे लाशों में ढूंढ़ा करते थे