वह मेरी ओर ऐसे खड़ा
है
जैसे अपनी पीठ हो वह
मैं सिर्फ़ अपना स्वेटर हूं
और हम दोनों के बीच में जो हवा है
उसमें वह मुझसे उधार माँग सकता है कभी भी
मैं इससे बना रहा हूँ कविता।
मैं सिर्फ़ अपना स्वेटर हूं
में सर्दी कहीं नहीं
लेकिन बुखार उसे शुक्रवार सुबह से है
और दोस्ती की कैंची है उधार, वह कहता है और हँसता है
और पूछता है कि कितने बजे सोते हो अमूमन
जो भी दो जवाब, वह हँसता है
वह तारे देखकर भी हँसता है, बाज देखकर भी।
मैं सिर्फ़ अपना स्वेटर हूं
और हम दोनों के बीच में जो हवा है
उसमें वह मुझसे उधार माँग सकता है कभी भी
मैं इससे बना रहा हूँ कविता।
मैं सिर्फ़ अपना स्वेटर हूं
में सर्दी कहीं नहीं
लेकिन बुखार उसे शुक्रवार सुबह से है
और दोस्ती की कैंची है उधार, वह कहता है और हँसता है
और पूछता है कि कितने बजे सोते हो अमूमन
जो भी दो जवाब, वह हँसता है
वह तारे देखकर भी हँसता है, बाज देखकर भी।