उसके पीछे हमारी पागल गायें

हम सुबह से सोचते थे कि मारे जाएंगे

बिजली भागती थी
उसके पीछे हमारी पागल गायें
और इस तरह हम अनाथ होते थे
बाड़ में कुछ फूल उग आए थे
जिनका नाम रखा गया इंदिरा गाँधी के नाम पर
होते गए हमारे नाक बन्द मरते गए डॉक्टर
एक गाली लगातार तैरती थी क्रिकेट मैचों के बीच
मेरी बहन ने पहले हमारे खेल देखना
फिर रस्सी कूदना छोड़ा
खुले दरवाजे से बिस्किट खाते हुए आए पिता
और पीली दीवार के सामने फेरे हुए
जिस पर से शाहरुख ख़ान की तस्वीर सुबह हटाई गई थी
मुझे लगी थी भूख और सारी तस्वीरें उदास आईं
एलबम बाँधकर हमने सोचा कि तीन हजार में खरीदा जा सकता था कूलर
बाद में तीन अच्छी लड़कियों की एक-एक रात
पहले कभी पिताजी के लिए नौकरी
या कभी भी साढ़े चार पुलिस वाले

शोर जब खूब होता था
मैंने तुम्हारे गले पर रखा अपना चुभने वाला हाथ
और यूँ तुम्हारी आवाज को खा गया बिल्कुल मासूम

पापा जब बिस्किट खरीद रहे थे खुश
तब मैंने खोला था दरवाजा
और तुम बन्द हो गई थी
हम सबने शुरु से तय किया था
कि तुम्हारी हर चिट्ठी पढ़ा करेंगे
खूब था गोंद और खोलकर चिपकाते थे

उत्सव हुआ जैसे थी आदत
फिर पीछे फूल और चांदी फेंकी गई
जब सब लौटे
तब दूर से हमें रोते हुए दिखाई देना था

वीडियो कैसेट में हम गोरे लग रहे थे
नए थे गाने



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6 पाठकों का कहना है :

देवेन्द्र पाण्डेय said...

शब्दों का एक कारखाना
जहाँ हो रहे हैं नित नए प्रयोग
जो पढ़ता है
उसे हैरानी होती है
कि शब्द ऐसे भी वाक्य बन सकते थे..!

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर ।

संध्या आर्य said...
This comment has been removed by the author.
Dharmendra Singh Baghel said...

Bade bhai(halaki umra me tum chote ho),ab to tumhare ye despatches/kavita samajhane se dimag ne jawab de diya he,me bahut jald quit karne ki sochanewala hu(dhamki).kuch upay karo k mujh(koodhmagaj)ko samajh aaye.

संध्या आर्य said...

लद गये तस्वीरो मे
रौशनी बेसूमार थे
फेकी जा रही थी कीचड
और सड गयी थी यादे
जब संसद सडक पर आ गयी थी
पुलिस वाले काटे गये थे बिजलियो की तलवार से उनकी माँओ की आंखे
निकाल ली गयी थी राजनिति की नोक से
तब पगलायी गायो को मिल रहे थे
वीरता पुरस्कार
तब भावनाये रद्दी मे पडी मिली
सत्ता के खेल मे !


आपकी रचनाओ को पढकर कुछ विचार मेरे मानस पर ऐसे ही तैरने लगतेहै ....जिसे टिप्पणी के रुप मे लिख देती हूँ..............
बहुत बहुत शुक्रिया जो आप बेहद प्रभावी ढंग से अपनी भावनाओ को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करतेहो और मुझ जैसे पाठ्क को कुछ लिख देने को प्रेरित कर देतीहै !

दिपाली "आब" said...

ye kya hai????