यहाँ से देखो
जहाँ मैं हूं
और मेरा अकेला होना है।
जेल का आखिरी मुलाक़ाती
शरबत पीने की तीव्र चाह में घर लौट जाना चाहता है
और तुम उधर से देखते हो
जहाँ शामियाने, कहकहे और दावतें हैं।
सींखचों के इस पार से देखो ना
जहाँ मैं हूं,
आँखें मलता, झिपझिपाता,
चुप।
मुझे निर्विकार रहकर
कहनी हैं दो चार भली बातें,
उम्मीद बचाए रखनी है
मानवता के ख़त्म होने की आशंका के बीच,
मुझे बचाए रखनी हैं
अपने नाचने और गाने की संभावनाएँ
और जबकि मैं बर्फ़ सा स्तब्ध हूं,
मुझे पूछनी हैं उससे
उसके बच्चों की कक्षाएँ
और गाड़ी की माइलेज़।
ऐसा नियम है।
इस सदी की सबसे ज़रूरी बातें
मैं मुस्कुराती हुई मधुमक्खियों पर ज़ाया कर चुका हूं
और सैनिक विद्रोहों की ख़बरों के बीच
जब मैं बाघ की तरह लुप्त हो जाना चाहता हूं,
मुझे महान बनना है
और दिखाई देते रहना है।
मैं सपने में देखता हूं
लकड़ी के गीले पुल,
टूटती हुई नदियाँ,
रुकी हुई रेलगाड़ियों की छतें लाँघकर
उस पार जाते बच्चे
और निर्मम हत्याएँ।
यहाँ बैठकर देखो,
जहाँ सपने हैं,
कारण और ईश्वर नहीं हैं,
ज़बरदस्ती के सवेरे हैं
और है सूर्य को अर्घ्य देना।
यहाँ से देखो
जहाँ मृत्यु है
और बार बार खीसें निपोरकर जताते रहनी है ख़ुशी
और नर्म आवाज़ में कहना है कि
प्यार से गले तक छके हैं हम।
(केदारनाथ सिंह के कविता संग्रह ‘यहाँ से देखो’ का शीर्षक पढ़ने के बाद)
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यहाँ से देखो |
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रेडियो, आईसक्रीम और लाल गुब्बारे |
हाँ, यह सच है कि
चूड़ीवाली गली के पते पर रात बहुत है,
तुम हो मसरूफ़,
शाम के छ: बजे हैं
और यह दालें उबालने का समय भी हो सकता है।
बन्द हैं आँगनबाड़ियां,
बच्चे और कबूतर् बेबात रोते हैं
और यह दिल को वॉशिंगमशीन की चक्करघिन्नी में धोकर
बालकनी में सुखा देने का समय है।
हम अक्सर बुरे लोगों और निर्मोही बिल्लियों से करते हैं
बहुत सारा प्यार
और उनके इंतज़ार में करते हैं दुर्लभ आत्महत्याएँ।
हम बूढ़े चपरासियों और गर्भवती स्त्रियों का
उम्र भर करते हैं आदर
और सपने देखकर घुटते हुए तहखानों में सोते हैं।
यह एक अजीब विडम्बना है कि
हम अपनी घड़ियाँ, मर्तबान, चश्मे और मोबाइल भी
नहीं तोड़ पाते गुस्से में
और हम सब कुछ तोड़ देना चाहते हैं
और हमारे पास पैसे नहीं हैं।
यह सुन्दर सभ्यताओं के समागम का समय है,
मैं शहर के मध्य में हूं
और लिपस्टिक का स्वाद
प्रेम जैसा क्यों नहीं है?
सच, मैं भूखा नहीं मरना चाहता कोई प्राकृतिक मौत।
मैं फ़ुटपाथ पर बैठकर
तुम्हें करना चाहता हूं बेढंगा प्यार
और तुम्हें सहेजना चाहता हूं।
इस कोलाहल के उपसंहार से पहले
मैं सुनना चाहता हूं तुमसे
तुम्हारा कोई बहुत आम सा दिन,
जिसमें रेडियो, आईसक्रीम और लाल गुब्बारे हों।