यातना

यह यातना है,
जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जाना चाहिए आगे।

अँधेरे में डूबकर मरना
नदी में डूबकर मरने से
कहीं अधिक त्रासद है।
ऐसी घोषणा की जाए।

यह अँधेरी गुफाओं से बाहर
शिकार पर निकलने का वक़्त है
जब मुझे आ रही है
संसार की सबसे निरीह नींद।
जब कही जानी चाहिए
गर्म लोहे पर सिकी कठोरतम बातें,
मैं हँसता हूं।

तुम्हारे गालों पर ढुलक आई है
पत्थरों की नुकीली रोशनी,
सामने तालाब है, जिसमें हैं पेड़।
दोपहर के पौने दो बजे
तुमने मुझसे पूछा है स्प्रिचुअल लव का अर्थ।

यह प्रेम नहीं,
विवशता है
कि मैं रोता हूं फूट फूटकर।

रोना संसार की सबसे आदिम भाषा है।



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10 पाठकों का कहना है :

Pratyaksha said...

बढ़िया ...

शायदा said...

अफ़सोस इस आदिम भाषा को पढ़ सकने वाले आदमी नज़र आने कम हो गए हैं....खै़र विवशता तो है ही

महेन said...

यह सच है कि अँधेरे में डूबकर मरना नदी में डूबकर मरने से कहीं अधिक त्रासद है मगर सच है और यह विवशता भी उतनी ही सच है मगर उपाय क्या है? संसार की सबसे आदिम भाषा? शायद...

कुमार अम्‍बुज said...

कुछ देखते हुये आपके ब्‍लॉग पर आया।
दो-तीन कविताएं और कुछ कविताओं की पंक्तियां एक नये कवि की आशा जगाती हैं। उम्‍मीद हे कि कविकर्म को आप कुछ अधिक गंभीरता और दायित्‍व के साथ ग्रहण करेंगे।
शुभकामनाएं।

अमिताभ मीत said...

बहुत सही है !!

प्रशांत मलिक said...

hmm

ravindra vyas said...

कुमार अंबुज की बात पर गौर कीजिएगा।

गौरव सोलंकी said...

आप सब का बहुत शुक्रिया....
महेन भाई अब उपाय मैं कैसे बताऊँ ?
अम्बुज जी, कोशिश करूंगा कि आपकी आशाओं पर खरा उतर सकूं...

jj said...

khusurat!

Gaurav Ahuja said...

यह प्रेम नहीं,
विवशता है
कि मैं रोता हूं फूट फूटकर।

sahi...bahut achche janab..