हवाई ज़हाज़ तैरते होंगे बादलों पर,
कौवे होंगे।
शोर होगा, चुप्पी होगी, नहीं होगा संगीत
न ही पानी।
होंगे मेडिकल स्टोर
और वह किसी अस्पताल में
लंच पर गए डॉक्टर के इंतज़ार में
बेबस पिता को मरते देखने जैसा होगा।
ज़ार ज़ार रोने से भी
नहीं होगा बूँद भर भी कम।
कब्रिस्तान पर बैठे मासूम बच्चों के स्यापे जैसा
इतना दुःख होगा पगली
कि मैं आऊँगा याद।
मुझे न खोज पाओ तुम,
मैं न मिलूँ तुम्हें।
[+/-] |
इतना दुःख होगा |
[+/-] |
तुम्हारी आँखें नीली नहीं हैं |
नाराज़ होकर तुमने
नीली रोशनाई बिखेर दी है हवा में, आकाश में।
डूबते हुए आसमान में
तिनका भर सूरज
झुककर तुम्हारी आँखें चूमता है।
तुम्हारी नीली आँखों की मुट्ठियों में बंद है
खिड़कियों की हँसी,
शादियों का कोलाहल
और मेरी जान का तोता।
तुम रेलगाड़ियों, अजानों
या स्कूल की प्रार्थनाओं में छिपकर बैठी हुई हो,
तुम्हारे बालों में गुँथी आती हैं मेरी रोटियाँ।
मैं तुम्हें खा जाना चाहता हूं।
तुम गाना लोरी
और मेरे साथ सोना।
पीले पोस्टकार्डों पर लिखकर भेजना
अपने गीले होठ,
चाँदनी रातों में नाव बनना,
कुहरे में धूप।
सूखे पेड़ों की डालियों पर लेटकर
हम देर तक याद करेंगे अपना बचपन
और आँखें भरेंगे।
सुनो!
तुम,
जो समझती हो कि यह तुम्हारे लिए नहीं लिखा गया,
मैं सारे संसार से घृणा करना चाहता हूं
ताकि तुमसे कर सकूं
खट्टे दही सा अगाध प्रेम।
तुम्हारी आँखें नीली नहीं हैं,
याद है मुझे।
[+/-] |
एकान्त... |
अंतहीन सन्नाटा है
जिसमें घड़ी की टिकटिक,
मक्खियों की भिनभिनाहट
और मेरी साँसों के अलावा कुछ भी नहीं।
तो वह कौन है
जो मुझे डराता है बार बार?
इस कमरे के बाहर
कहीं नहीं है दुनिया।
नहीं हैं चाँद, तारे, समुद्र और बम्बई कहीं भी।
मुझे यकीन है।
मैं सोते ही मर जाऊँगा।
कोई नहीं है कहीं
जिसे ख़बर की जा सके,
जिसे किया जा सके सचेत या आश्वस्त।
उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं
कमरे की मक्खियाँ।
और मुनादियों, लाउड स्पीकरों या ऑर्केस्ट्रा में कहीं,
मैं कहीं शोर में मरना चाहता हूं।
[+/-] |
यातना |
यह यातना है,
जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जाना चाहिए आगे।
अँधेरे में डूबकर मरना
नदी में डूबकर मरने से
कहीं अधिक त्रासद है।
ऐसी घोषणा की जाए।
यह अँधेरी गुफाओं से बाहर
शिकार पर निकलने का वक़्त है
जब मुझे आ रही है
संसार की सबसे निरीह नींद।
जब कही जानी चाहिए
गर्म लोहे पर सिकी कठोरतम बातें,
मैं हँसता हूं।
तुम्हारे गालों पर ढुलक आई है
पत्थरों की नुकीली रोशनी,
सामने तालाब है, जिसमें हैं पेड़।
दोपहर के पौने दो बजे
तुमने मुझसे पूछा है स्प्रिचुअल लव का अर्थ।
यह प्रेम नहीं,
विवशता है
कि मैं रोता हूं फूट फूटकर।
रोना संसार की सबसे आदिम भाषा है।