शहर है,
बात है,
पानी है, भूख है,
शरीर है, हो तुम।
तुम हो।
टीन कनस्तर है,
पत्थर पलस्तर है,
नींद अंगड़ाई है,
मेंहदी है, काई है,
चमचम चमाचम है,
रोएँगे, मातम है,
मातम है, हो तुम।
तुम हो।
कारें हैं, छींटे हैं,
गारा है, ईंटें हैं,
ताले हैं, जाले हैं,
माँगी मशालें हैं,
कितनी उधारी है,
चाय भी भारी है।
चाय भी भारी है, हो तुम।
तुम हो।
आँगन है,
छाजन है,
कुर्सी है,
बासन है,
टिकटिक है,
झिकझिक है,
रातें बारातें हैं,
उल्लू है, जुगनू है।
जुगनू है, हो तुम।
तुम हो।
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12 पाठकों का कहना है :
UUB HAI KHEEJ HAI
TUU BHI KYA CHEEZ HAI
KAMIZ BEKAMIZ HAI
TAMIZ BAD-TAMIZ HAI
FIR BHI TAHZEEB HO TUM
TUM HO!
HO KYA!?
सच पूछिए गौरव जी कभी कभी तो आपसे जलन होने लगती हैं। सच अद्भुत है आपका लिखा।
सच पूछिए गौरव जी कभी कभी तो आपसे जलन होने लगती हैं। सच अद्भुत है आपका लिखा।
bahut badhiya
टीन कनस्तर है,
पत्थर पलस्तर है,
नींद अंगड़ाई है,
मेंहदी है, काई है,
bahut achcha...
kavita padkar alag tarah ki khushi mili...bahut achcha..
chalo achha hai....koi to hai:)...................sunder...lekin udaas,par udas bhi sunder hota hai.keep writing.
राग है , विराग है,
धुआं है, आग है,
सुर है, ताल है,
ख़बरों का मकड़जाल है,
फसेंगे , वक्त की साजिश है,
मेरी गुजारिश है,
गुजारिश है, हो तुम
तुम हो !
हो तुम!
तुम हो!
क्या बात है?
gmail hai
chat hai
orkut hai
scraps hain
phone hai
tumhara no. hai
tumhare ghar ka no. hai
sms hai
missed calls hai
uske baad calls hain
phir calls pe calls hain
phir switched off hai
ho tum
tum ho bhi kya
तुकबंदी करने का अच्छा प्रयास।
भाव भी सही है।
लिखते रहो।
-विश्व दीपक
तुकबंदी करने का अच्छा प्रयास।
भाव भी सही है।
लिखते रहो।
-विश्व दीपक
चलो अच्छा है इन सब के साथ ...वो एहसास तो है कि तुम हो ....
अच्छा लिखा है मेरे दोस्त
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
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