जब बारिश होगी,
रेत होगी,
कोई पहाड़ होगा
जहाँ शाम को रेस्तरां में बैठकर
हम सोच रहे होंगे कोई सुखमयी बात,
छुट्टियाँ होंगी,
लौटकर जाने के लिए होगा घर,
स्लीपर में आमने सामने वाली अपर बर्थ पर लेटेंगे हम
और सुबह जल्दी जगेंगे।
इतना सुख होगा
कि हम अघा जाएँगे पगली।
आप क्या कहना चाहेंगे? (Click here if you are not on Facebook)
8 पाठकों का कहना है :
जोरदार कल्पना रचना में समाहित की है . बधाई
इतना सुख होगा
कि हम अघा जाएँगे पगली।
उम्दा।
क्या बात है !! न जाने किंतनी आंखों का ख्वाब !
haan bhai chhuttiyaan aur sukh ek doosare ke poorak bhi hain
Anil Kant
http://www.anilkant.blogspot.com/
वाह !!!
बहुत सुन्दर
---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
आप तो सचमुच पॉज़िटिव लिखने लगे....
पगले कहीं के...
निखिल
chalo gam se sukh ki taraf to bade...agli baar tab likhiyon jab bahut khush ho na ki jab emotional ya gambhir..yani ki tab jab holi ki chutti main jab ghar jayega..train ki upper berth main baithkar...
Post a Comment