IIT वाले.... भाग-1

जो लोग इस प्रात:स्मरणीय स्थान के बारे में नहीं जानते, उन्हें बता दूं कि IIT भारत के सात ऐसे तीर्थ स्थल हैं, जिनमें रहना लगभग हर महत्वाकांक्षी किशोर का सपना होता है। ( वैसे इस महत्वाकांक्षी शब्द पर विद्वानों में मतभेद है और जानकारों का कहना है कि जो ऐसे boring सपने देखते हैं, वे ambitious न होकर किताबी कीड़े टाइप के छात्र होते हैं। वे स्कूल में हमेशा क्लास में फर्स्ट आने वाली टाइप के होते हैं और वे अपनी किशोरावस्था में कैरियर के प्रति इतने अतिजागरुक हो जाते हैं कि प्रेम निवेदन करने वाली गुणवती, रूपवती कन्याओं को बेवकूफ़ों की भाँति थोड़ा wait करने के लिए कहते हैं इत्यादि इत्यादि...)
तो जी बंदा IIT रुड़की में B.tech. के आखिरी साल का छात्र है और इस महान तीर्थ स्थल को छोड़ने से पहले IIT और IIT वालों के बारे में कुछ लिखना चाहता है। इससे आपको भी यहाँ के बारे में कुछ idea मिल जाएगा और लेखक को भी थोड़ी संतुष्टि हो जाएगी। एक तरह से यह लेखक का इन बातों को संभाल कर रखने का प्रयास भी माना जा सकता है, जो हो सकता है कि वह कुछ समय बाद याद न रख पाए।
मैं जो लिखूंगा, वे बातें IIT रुड़की के लोगों को देखकर जानी गई बातें होंगी। मेरे ख़याल से तो वे हर IIT के लिए उतनी ही सच होनी चाहिए मगर यदि कोई अंतर पाया जाता है, उसके लिए मैं कतई ज़िम्मेदारी नहीं लूंगा। इस श्रंखला में कुछ नकारात्मक बातें भी आएंगी, सो अन्दर के साथियों से निवेदन है कि भड़कें नहीं। :) आनंद लें।

बहुत से लोग पूछते हैं कि IIT वाले अर्थात IIT के आम students कैसे होते हैं?
कुछ गुण मैं बताता हूं।
1. वे 48 घंटे तक लगातार काम कर सकते हैं बशर्तें उनसे वादा किया जाए कि इससे उनके resume में कुछ ऐसा जुड़ जाएगा कि 2 साल बाद जब वे campus interview में बैठेंगे और वे अमुक अमुक कम्पनी के interview तक पहुंचे तो वे एक सवाल का जवाब (जो यदि पूछा गया) अपने सहपाठियों से extra दे सकते हैं। अर्थात IITians ऐसे जुनूनी लोग होते हैं जो अत्यंत दूरदर्शी होते हैं, मेहनती होते हैं (यह तो सब जानते हैं ;) ....) और इसी extra edge के भूखे होते हैं।
2. वे 48 घंटे तक लगातार सो सकते हैं बशर्तें उनका मन ऐसा करे। :) (बीच में खाने पीने जैसे एवं अन्य आवश्यक कार्य जोड़कर )
3. वे आराम से हफ़्ते में दो बार लगातार चार फ़िल्में देख सकते हैं या उतने ही समय में लगातार 12 घंटे तक कम्प्यूटर पर गेम खेल सकते हैं या उतने ही समय में लगातार 12 घंटे तक अमेरिका की अर्थव्यवस्था, भारत की राजनीति, IIT की लड़कियों ( यह बहुत interesting विषय होगा...इस पर अलग से एक chapter लिखूंगा), अपने अपने शहर की लड़कियों, भारत की लड़कियों और दुनिया की लड़कियों आदि पर चर्चा कर सकते हैं। वैसे इन चर्चाओं के विषय अधिकांशत: राह भटक जाते हैं और censored zone में प्रवेश कर जाते हैं, जिसके बारे में मैं यहाँ नहीं लिख सकता।
4. यह अचम्भे की बात है लेकिन हम IIT वाले हर चीज के बारे में इतना जानते हैं कि घंटों बहस कर सकते हैं। वैसे इस बात पर भी विद्वानों में मतभेद है और कुछ लोग कहते हैं कि जब हम बहस आरम्भ करते हैं तो उस topic पर कुछ नहीं जानते होते और फिर बहस के दौरान हमारा ज्ञान चमत्कारिक तरीके से बढ़ता जाता है। इसका कारण यह बताया जाता है कि हमें अपनी बात पर डटे रहना सिखाया जाता है, चाहे हम सही हों या गलत...।
कौनसी फ़िल्म थी वो....हाँ, याद आया....तारे ज़मीन पर। उसका वो गाना तो आपने सुना ही होगा...ज़मे रहो... :)
आज IITians के नाम पर फिर से सुनिए।
अभी कुछ काम आन पड़ा है, इसलिए इस भाग में इतना ही....
यह बस शुरुआत है। समय समय पर लिखता रहूंगा। आप जाते जाते एक काम कीजिए....नीचे क्लिक कीजिए और अपनी प्रतिक्रिया जरूर लिखते जाइए। वो क्या है ना कि बन्दे को थोड़ी inspiration मिलती रहेगी....



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14 पाठकों का कहना है :

Rohit Pardasani said...

badiya hai!

Gyan Dutt Pandey said...

चलो इन्स्पायर कर दें! बहुत अच्छा लिखा। और शुरुआत के लिये तो बहुत ही अच्छा!

Yunus Khan said...

चलो एक और आई आई टी वाला बंदा इस मुद्दे पर शुरू हो गया । मुबारक सही जा रहे हो ।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

भारतीय जनता के सबसे प्रतिभाशाली युवा वर्ग का आप सब प्रतिनिधित्व करते हैं --

अमरीका की कई कम्पनीयों में , यहीं से आए व्यक्ति बागडोर सम्हाले हुए हैं --
We all r pround of you &
wish you lots of luck !
rgds,
L

Unknown said...

बहुत अच्छा है लेकिन IITians में विदेश भागने की होड़ खत्म होनी चाहिये।

आलोक said...

#3 - यानी ये लेख शृङ्खला आई आई टी वाले लड़कों के बारे में है? ज़ाहिर है कि आई आई टी वाली लड़कियाँ तो यह चर्चाएँ नहीं करती होंगी - या शायद करती होंगी?

गौरव सोलंकी said...

आलोक जी, मुझे इसी आपत्ति की प्रतीक्षा थी। ;)
असल में IIT वालों का अर्थ IIT के लड़कों से ही है क्योंकि 'लड़कियों' का यहाँ दिखाई देना अपने आप में एक चमत्कार से कम नहीं है।
इस विषय पर एक पूरा भाग लिखूंगा जल्दी ही..तब आप यह सवाल नहीं उठाएंगे। :)

Unknown said...

old engineers never die .. they just loose their bearings - [what about new ones ?] [:-)]

Durgesh said...

mast hai badiya pryas hai aur try kijiyye acccha ban sakta hai

Deep Jagdeep said...

गौरव भाई शिव कुमार बटालवी की कविताएं कोट करना मत भूलना

Anonymous said...

क्या बात कही गौरव बहाई,मजा आ गया,बहुत अच्छे ऐसे ही अच्छी जानकारियों से अवगत करते रहे.धन्यवाद
आलोक सिंह "साहिल"

अनूप शुक्ल said...

सही है। भाग दो का इंतजार है।

Anonymous said...

Oye, "IIT" ladkiyon ka cheptar likhna bhoolna mat bey.
vaise maza aa gaya lekhni chalti zig-zag hai par akarshit karti hai aur baandhe rakhti hai.

विश्व दीपक said...

बंदा सत्यवचन बोल रहा है।

ये रही दूसरे IIT वाले की मुहर.
विश्व दीपक ’तन्हा’
final year
IIT kharagpur.